Nirankari live

Wednesday, May 6, 2020

परमात्मा के सच्चे ज्ञान का रहस्य

....सच्चा ज्ञान वह है, जो हमें गुण, कर्म, स्वभाव की त्रुटियाँ सुझाने, अच्छाइयाँ बढ़ाने एंव आत्मनिर्माण की प्रेरणा प्रस्तुत करता है।
 यह सच्चा ज्ञान ही हमारे स्वाध्याय और सत्संग का, चिंतन और मनन का विषय होना चाहिए।
कहते हैं की संजीवनी बूटी का सेवन करने से मृतक व्यक्ति भी जीवित हो जाते हैं।

हनुमान जी द्वारा पर्वत समेत यह बुटी लक्ष्मण जी की मूर्च्छा जगाने के लिए काम में लाई गई थी। वह बुटी औषधि रूप में तो मिलती नहीं है, पर सूक्ष्म रूप में अभी मौजूद है। आत्मनिर्माण की विद्या संजीवनी विद्या कही जाती है, इससे मूर्च्छित पड़ा हुआ मृतक तुल्य अंत:करण पुन: जाग्रत हो जाता है और प्रगति में बाधक अपनी आदतों को, विचार-शृंखलाओं को सुव्यवस्थित बनाने में लग कर अपने आप का कायाकल्प ही कर लेता है।
सुधरी विचारधारा का मनुष्य ही देवता कहलाता है।
कहते हैं, देवता स्वर्ग में रहते हैं। देव-वृत्तियों वाले मनुष्य जहाँ कहीं भी रहते हैं, वहाँ स्वर्ग जैसी परिस्थितियाँ अपने आप बन जाती हैं। अपने को सुधारने से चारों ओर बिखरी हुई परिस्थितियाँ उसी प्रकार सुधर जाती हैं, जैसे दीपक के जलते ही चारों ओर फैला हुआ अँधेरा उजाले में बदल जाता

ईश्वर परमात्मा सद्गुरु को धन्यवाद के साथ आपको 
धन निरंकार, नमस्कार, वन्दन, नमन।

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